आइये 2007 का स्वागत करें भारत की चमकती हुई तस्वीर से। आने वाले साल का स्वागत किया है आज के इकानामिक टाइम्स ने पक्के तौर पर समय हमारा है की उद्घोषणा के साथ। लेख में लिखा है
जिस तरह से आगे बढ़ते हुए अरबों डालर के सौदे हमारी कंपनियां कर रही हैं और अपने ब्रांडों की पहुंच को दुनिया भर में हर ओर फैला रही हैं हैरान न हों यदि विश्व बाजार के प्रतीक टाईम स्क्येर पर केवल भारतीय ब्रांड ही चमकते दिखायी दें।
स्वामिनाथन अय्यर के इस लेख में आगे लिखा है कि एक समय था जब दुनिया भर में भारत अव्वल नंबर था – भुखमरी में, खाद्य सहायता मांगने में, विदेशी सहायता मांगने में और ट्रांसप्येरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार – रिशवत देने में भी। पर अचानक, दो दशकों तक कुछ और राग अलापने वाले क्रेडिट सुइस जैसे विश्लेषक अब कह रहे हैं कि भारत जो कि चीन के बाद विकास गति में दूसरे नंबर पर है 2007 में चीन को पीछे छोड़ पहले नंबर पर आ जायेगा। एक देश जिसकी पहचान एक ऐसे कूंएं की तरह थी जहां जितनी भी सहायता भेजी जाये उसे पाटना मुश्किल था वही देश आज दुनिया भर में विकास की गति में सबसे आगे खड़ा है।
आज विश्व की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। विकासशील देशों की औसत विकास दर 7% है। अफ्रीका भी पिछले चार सालों से औसतन 5.3% की दर से विकास कर रहा है। ऐसी तेजी में 8-9% की विकास दर इतना मायने शायद नहीं रखती मगर भारत अब विश्व अर्थव्यवस्था के केंद्र की ओर बहुत तेजी से बढ़ रहा है और वैश्विकरण का महत्वपूर्ण भागिदार भी है। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है।
पिछले तीन वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले हमारे निर्यात का अनुपात 14.6% से उछल कर 20.5% हो गया है। दुनिया के व्यापार में हमारे निर्यात की हिस्सेदारी दोगुना हो कर 0.5% से 1% हो गयी है। विश्व भर में सेवाओं के निर्यात (इसे BPO पढ़ें) में हमारा हिस्सा भी केवल दो वर्षों में दोगुना हो कर 2.5% पर आगया हैं। भारत के लोग युरोप और अमेरिका के लोगों से लाखों की संख्या में नौकरियां छीन लेंगे यही सोच कर वहां के नेताओं की आंखें भी पत्थरा रही हैं।
यही नहीं अगर डालरों में गणना करें तो भारतीय सकल घरेलू उत्पाद पिछले तीन सालों में 16% प्रति वर्ष की जबर्दस्त तेजी से आगे बढ़ रहा है (क्योंकि डालर के मुकाबले रुपया मजबूत हो रहा है)। यदि यही विकास दर रही तो भारतीय अर्थव्यवस्था केवल 22 सालों में अमेरीकी अर्थव्यवस्था की बराबरी कर लेगी जो होगी 11 ट्रिलियन डालर।
तो तैयार हो जाइये 2007 में भारत को विश्वभर में सबसे तेज गति से विकास करते हुए देखने के लिये।
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यह भी रंग विकास के
आम आदमी के साथ….?
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