उनकी आत्महत्या और हमारी आत्मा की हत्या

परसों जब अपने नये चिट्ठे मजेदार समाचार के लिये कुछ मजेदार समाचार खोज रहा था तो एक समाचार पर नजर पड़ी जिसमें जापान के एक मंत्री ने एक घोटाले में नाम आ जाने के कारण शर्म के मारे आत्महत्या कर ली।
मुझे पढ़ कर बहुत विस्मय हुआ। जापान इतना प्रगति कर चुका मगर आध्यात्म में हमारे जितनी तरक्की कोई नहीं कर पाया। हमारे यहां मंत्री लोग मंत्री बनने से पहले ही अपनी आत्मा की ही ह्त्या कर लेते हैं। न होगी आत्मा और न होगी आत्मा की आवाज।

हमारे यहां तो मंत्री, सांसद या विधायक बनने की पहली शर्त ही यही है कि आपकी आत्मा मर चुकी हो। रही घोटालों की बात तो हमारे यहां तो किसी के पार्षद बनते ही घोटालों में नाम आ जाता है। इसके बाद विधायक, सांसद या मंत्री बनने तक तो बाकायदा कई कई मुकदमे शुरू हो जाते हैं।

कई दफा मुकदमे आपराधिक और हत्या तक के भी हो सकते हैं। पिछली बार तो एक केंद्रिय मंत्री को हत्या के जुर्म में उम्र कैद की सजा मिलने पर आनन फानन में इस्तीफा करवाया गया। कई बार तो उम्मीदवार जेल से ही चुनाव लड़ते हैं।

आजकल तो जिस किसी पर ज्यादा से ज्यादा घोटालों के आरोप हों वह सांसद या विधायक बनने का सबसे ज्यादा प्रबल उम्मीदवार होता है। मंत्री होने का मतलब ही यही है कि वे अक्सर अदालत आते जाते रहें। इससे उन्हें प्रचार मिलता है और अगले चुनावों में भी विजयी होने के चांस बढ़ते हैं। हमारे न्यूज चैनल वाले भी ऐसे ही मंत्रियों के पीछे पीछे कैमरा ले कर चलते हैं।

कभी आप किसी भी कार्य दिवस में सुबह ग्यारह बजे के आसपास जब अदालतें खुलती हैं उस समय कोइ न्यूज चैनल लगा कर देखिये। किसी न किसी नेता (या अभिनेता) की तारीख लगी होगी अदालत में। पहले तो संवाददाता मंत्री जी के आने से पहले सीधे प्रसारण में मुकदमे की जानकारी देगा। फिर कारों के काफिले के साथ मंत्री जी आयेंगे। मंत्री जी एफटीवी की मॉडल की तरह कैट वॉक करते अदालत के दरवाजे से पहले उस तरफ जायेंगे जहां टीवी के कैमरे खड़े होंगे। पहले मंत्री जी कैमरों की तरफ हाथ हिला कर मुस्कुरायेंगे। फिर दो अंगुलियां फैला कर ‘वी’ का चिन्ह बनायेंगे। फिर अपनी चिरप्रतीक्षित बाईट देंगे। मंत्री जी अपनी पहली लाइन में अपने विरोधियों पर निशाना साधेंगे कि यह सब हमारे विरोधियों की चाल है।

अब यहां यह स्पष्ट करदें कि यह विरोधी, विरोधी दल वाले भी हो सकते हैं या फिर उनके अपने दल में भी हो सकते हैं जो कि उन्हें मंत्री बनाये जाने का सिर्फ इस लिये विरोध कर रहे होते हैं कि वो हटें तो हम बनें। दूसरी लाइन में मंत्री जी अपने समुदाय या जाति की दुहाई देंगे कि हमारे समुदाय को आगे बढ़ने से रोकने के लिये यह सब किया जा रहा है।

यहां यह ध्यान देने लायक बात है कि मंत्री जी इसी जाति या समुदाय का नाम लेकर चुनाव जीते थे और इसी जाति के कोटे से मंत्री भी बने थे। तीसरी लाइन में मंत्री जी बतायेंगे कि उनके खिलाफ कोई आरोप सिद्ध नहीं होगा क्योंकि उन्होंने कोइ सबूत छोड़ा ही नहीं। हम इस मुकदमे से बेदाग होकर निकलेंगे। इसके बाद सर्फ एक्सेल का विज्ञापन “दाग अच्छे हैं ना!”

कभी कभी तो मैं सोचता हूं कि हमारे नेता यदि घोटाले न करें या हमारे अभिनेता कहीं से लाकर हथियार न छुपायें तो हमारे न्यूज चैनल वाले सारा दिन अपने चैनल पर क्या दिखायेंगे? अब मीका सिंह और रिचर्ड गेयर रोज रोज तो लड़कियां चूमते नजर नहीं ना आयेंगे।

अभिनेता जब अदालत में आता है तो सीन जरा अलग सा होता है। वो अपनी जींस में और लाल नीली शर्ट में ऊपर के दो बटन खोले चुपचाप आंखे झुकाये कैमरे के सामने से अदालत की और चला जायेगा। माथे पर सुबह मंदिर से लगवाया लंबा चंदन का टीका होगा। यहां बाईट उनके फैन देते हैं “सो क्यूट, कितने हैंडसम लग रहे थे ना?” उसके बाद रीड एंड टेलर का विज्ञापन “लम्हों को लिबास दे।”

एक अभिनेता पर पंद्र्ह साल मुकदमा चल जाये, उसका फिल्म निर्माता इस बीच लगातार पांच छः फिल्में बना कर अरबपती बन जाये। टुन्ना भाई लगे रहो, टुन्ना भाई अमेरिका में, टुन्ना भाई चांद पर।

हां तो बात मंत्री की आत्महत्या और आत्मा की हत्या की हो रही थी। हमारे यहां मंत्री द्वारा आत्महत्या का कोइ इतिहास नहीं है। हां उन्हे चुनने वाली जनता अकसर आत्महत्या करती पाई जाती है। किसी भी दिन का अखबार उठा कर देख लीजिये। देश के कई हिस्से मिल जायेंगे जहां आये दिन किसान आत्महत्यायें कर रहे हैं। खुद से न मरें तो पुलिस की गोलियां किस लिये हैं, कभी सिंगूर में किसानों की जमीन के नाम पर तो कभी बूंदी, दौसा में आरक्षण के नाम पर।

हां हमारे यहां यदि कोई बिना किसी घोटाले के पांच साल तक मंत्री बना रह जाये तो शर्म के मारे आत्महत्या जरूर कर ले।


Comments

6 responses to “उनकी आत्महत्या और हमारी आत्मा की हत्या”

  1. भाइ साहेब यहा तो कुछ होने वाला नही,पर मुझे बिजनेस का अच्छा स्कोप दिखाई दे रहा है
    हम जापान मे नेताओ की कोचिंग क्लास चला सकते है अध्यापक जितमे मर्जी ले लो,प्रदेश से लेकर सेंटर तक उनका पैसा सफ़ेद हो जायेगा,हमारा धंधा चल निकलेगा

  2. maithily Avatar
    maithily

    भाटिया साहब, बहुत करारा लिखा है.

  3. अनूप शुक्ल Avatar
    अनूप शुक्ल

    अच्छा है! बधाई!

  4. समीर लाल Avatar
    समीर लाल

    बहुत विचारपरक बातें बहुत अच्छी तरह पेश की हैं, बधाई!!

  5. Panakj (Peter) Varma Avatar
    Panakj (Peter) Varma

    This is very interesting to read. Japanese are very high in values. Thier culture proves it. They are PEOPLE OF SUBSTANCE. Yet, every now and then with enormous numbers of natural calamities, vis-a-vis Earthquakes, they still stand tall in the global arena.
    Theres always so much to learn from them.
    Hope Indians can some day become like Japanese, atleast in honesty, etihcs etc.
    Rgds,
    Pankaj (Peter) Varma

  6. So nice, perhaps our political leader would be like japnese leaders .

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