अपने प्यारे पापा को कविता

अपने प्यारे पापा को कविता.  कल फ़ादर डे पर यूं ही एक कविता लिखने की कोशिश की है.  वैसे तो मैं कवि नहीं हूँ और कविता लिखने की कुछ समझ भी नहीं है फिर भी कभी कभार कोशिश कर लेता हूँ. आशा है आपको पसंद आएगी और आप इसे जरूर सराहेंगे. यह कविता समर्पित है उन सब पिताओं को जो काम की व्यस्तता के कारण कहते हुए भी अपने परिवार को अधिक समय नहीं दे पाते.

सुबह सुबह ऑफ़िस जाते हुए
अपने प्यारे पापा को जब मैं ग्रीटिंग कार्ड दूंगी
थैंक्यू बेटे कह कर वे मुस्कुराएंगे
मगर हल्के से जरूर झेंप जाएंगे।
दो बातें भी नहीं कर पाएंगे
ऑफ़िस को देर हो जाएगी।
शाम को काम से फ़िर देर से आएंगे।
बहुत ही अच्छे हैं मेरे पापा,
जो भी मांगो ले कर देते हैं।
मगर अक्सर कंप्यूटर पर गेम्स खेलते हुए सोचती हूं
काश कभी हम अपने पापा के साथ अंत्याक्षरी खेल पाते……


Comments

4 responses to “अपने प्यारे पापा को कविता”

  1. अनूप शुक्ला Avatar
    अनूप शुक्ला

    आज इतवार को भी पापा आफिस गये हैं या अन्ताक्षरी का समय निकाल लिया?

  2. Jagdish Bhatia Avatar
    Jagdish Bhatia

    इतवार को पापा सो कर अपनी नींद पूरी करते हैं।

  3. संगीता मनराल Avatar
    संगीता मनराल

    वैसे आईना जी,
    आजकल अच्छे गाने हैं कहाँ अन्ताक्षरी के लिये आजकल के बच्चे तो “हिमेश” अंकल के गानों को ही याद रखते हैं जो शायद पापा लोगो को पंसद ना आयें ;-)

  4. Jagdish Bhatia Avatar
    Jagdish Bhatia

    जी संगीता जी,
    शायद इसी लिये पापा के मोहमद रफ़ी और बच्चोंके हिमेश अंकल के बीच अंत्याक्षरी जमती नहीं।

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