विराट कोहली की कहानी, कैसे बना विराट कोहली इतना बड़ा क्रिकेटर जानिये पूरी कहानी विराट कोहली के बारे में. आज के नवभारत टाइम्स के संपादकीय में छपा निम्न हृदयस्पर्शी वाकया: क्रिकेट की दुनिया में विराट कोहली बहुत जाना माना नाम नहीं, पर 18 साल के इस स्कूली छात्र पर दिल्ली के क्रिकेट प्रेमी बराबर नजर रखे हुए हैं। विराट कोहली में वे सभी गुण हैं, जो उन्हें बड़ा क्रिकेटर बना सकते हैं। मगर बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। दो दिन पहले उन्होंने खेल और टीम के प्रति कमिटमेंट की जो मिसाल पेश की, उसने उनके कद को बहुत ऊंचा कर दिया है।
Story of Virat Kohli दिल्ली में रणजी मैच के दूसरे दिन रात में उनके पिता का देहांत हो गया। अगले दिन उन्हें श्मशान ले जाया जाना था। लेकिन उधर मैच में दिल्ली पर फॉलोऑन की जिल्लत उठाने का खतरा भी मंडरा रहा
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था। पहली पारी में कर्नाटक के 446 रनों के जवाब में दिल्ली 59 रनों पर अपने पांच बल्लेबाज खो चुकी थी। दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक विराट कोहली और पुनीत बिष्ट ने दिल्ली का स्कोर 103 रनों तक पहुंचा दिया था, मगर फॉलोऑन का खतरा टला नहीं था। जब लोगों को मालूम चला कि विराट कोहली शोक में हैं, तो उन्होंने सहज ही उन्हें मैच न खेलकर परिवारजनों के साथ रहने को कहा। लेकिन विराट कोहली पिता की मौत के सदमे के बावजूद संकट में फंसी अपनी टीम का साथ छोड़ने को तैयार नहीं हुए। उन्होंने पुनीत बिष्ट के साथ छठे विकेट के लिए 152 रनों की साझेदारी कर दिल्ली को फॉलोऑन से बचा लिया। विराट कोहली अंतत: 90 रन के निजी स्कोर पर अंपायर के एक गलत निर्णय के शिकार हुए। मैदान में एकाग्रता की मिसाल बने इस स्टाइलिश बल्लेबाज को देखकर शायद ही कोई दर्शक जान पाया हो कि अपने सीने में यह बालक कितना बड़ा तूफान छिपाए खेल रहा है। आउट होकर पविलियन लौटते हुए पूरी टीम का स्टैंडिंग ओवेशन पाकर हालांकि उनकी आंखों में आंसू उमड़ पड़े थे, लेकिन असल बात यह थी कि वह अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा आए थे। विराट कोहली ने पिछले साल ही दिल्ली की अंडर-17 टीम की ओर से खेलते हुए पंजाब और हिमाचल के खिलाफ दोहरे शतक लगाकर लोगों का ध्यान खींचा था और उसके बाद इंग्लैंड और पाकिस्तान के दौरे में भी उनकी बल्लेबाजी देखने वाले उनके कायल हुए थे। कोहली अगर चाहते तो पिता की मृत्यु के दुख में मैच छोड़ भी सकते थे। उन्हें कोई कुछ न कहता। लेकिन अपनी टीम और राज्य की प्रतिष्ठा को अपने निजी दुख से ऊपर रखकर उन्होंने दिखा दिया कि विकट समय आने पर सच्चे खिलाड़ी और मजबूत हो जाते हैं। यही उनकी महानता है।
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