शेयर बाज़ार में हो सकता है जोखिम शेयर बाजार में सावधानियां और खतरे। आप भी पहचानिए शेयर मार्केट से जुड़े जोखिमों को आयर रहें सावधान। बिना जाने शेयरों में निवेश करना ख़तरनाक हो सकता है। जब तक स्वयं को इस बारे में शिक्षित ना कर लें इसमें पैसे लगाने से बचें। शेयर बाज़ार से जुड़े दो किससे जिनसे यह समझने में आसानी होगी कि बाज़ार में किस तरह के जोखिम हो सकते हैं।
हर किसी के लिए नहीं है शेयर बाज़ार
“हर कोई शेयरों की ही तो बात करता है।” वो भोलेपन से बोले। यह बात भी सही है कि समाज के जिस वर्ग में सरदार जी रहते हैं वहां ज्यादातर लोग शेयरों में निवेश करते हैं। “मगर जब आपका ड्राईवर भी शेयरों की बात करने लगे तो समझें समय आ गया है बाजार से निकलने का.” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
कब है बाज़ार से निकलने का समय
झा साहब से परिचय करवाने से पहले अपको पिछले सप्ताह की एक बात बताता हूं।
मैं नोएडा में था। अपने एक सरदारजी दोस्त से काम के सिलसिले में मिलने गया था। बातों बातों में सरदारजी ने Share Bazar के बारे में एक सवाल पूछा। उन्होंने पूछा कि यह कैसे पता लगाया जाये कि शेयर बाजार कब अपनी पूरी ऊंचाई पर है और वो कौन सा समय हो जब शेयर बाजार से सब कुछ बेच कर बाहर आ जाना चाहिये। मैंने कहा कि इस बाजार में कभी बदहवास को कर माल न ही बेंचे तो अच्छा। अगर आपने अच्छी कंपनी का शेयर लिया है तो बाजार की चाल कैसी भी हो, आप घबरायें नहीं। सरदारजी मेरे जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। उन्हें सीधा जवाब चाहिये था। “आप लक्षण बताईये जिन्हें पहचान कर इशारा मिल जाये कि अब बाजार गिरने वाला है” उन्होंने पूछा।
अब बताइये, इस सवाल का जवाब कौन दे सकता है? फिर भी मैंने एक पुरानी मान्यता की बात उन्हें बताई। “जब हर कोई शेयरों की बात करने लगे तो समझो कि अब आपका समय यहां से निकलने का हो गया।”
“हर कोई शेयरों की ही तो बात करता है।” वो भोलेपन से बोले। यह बात भी सही है कि समाज के जिस वर्ग में सरदार जी रहते हैं वहां ज्यादातर लोग शेयरों में निवेश करते हैं।
“मगर जब आपका ड्राईवर भी शेयरों की बात करने लगे तो समझें समय आ गया है बाजार से निकलने का।” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
डे ट्रेडिंग से बचें
अब झा साहब की बात।
बहुत मजेदार चरित्र है उनका। झा साहब खुद में मस्त रहते हैं। जब बोलना शुरू करते हैं तो रोकना मुश्किल हो जाता है। एक बार जो निर्णय ले लें तो किसी की नहीं सुनते बस कर गुजरते है। झा साहब कितना पढ़े लिखे हैं यह तो मैंने कभी पूछा नहीं मगर अंग्रेजी में “यू गो”,” आई कम” से आगे पैदल हैं। आगे भी आपको उनके किस्से सुनाता रहुंगा। हम एक ही कालोनी में रहते हैं। झा साहब कुछ खास नहीं करते। दो बच्चे होने के बाद भी अपने परिवार का जिम्मा वो अपने पिता पर ही डाले हैं। कल अचानक आ धमके। बोले लैपटॉप लिया है। इंटेरनेट नहीं चल रहा, जरा सहायता कर दें।
“अरे वाह! क्या कन्फिग्रेशन है?” मैंने उत्सुकता दिखाते हुए पूछा।
झा साहब समझ नहीं पाये।
“इसमें क्या क्या लगा है” मैंने फिर पूछा।
अब झा साहब का चेहरा बता रहा था कि मैंने क्या अनाड़ियों वाला सवाल पूछ लिया है।
“ये स्पीकर लगे हैं, यहां सीडी लगती है, ये फोन की लाईन है और यहां, यह लगता है,” झा साहब ने मुझे यूएसबी पोर्ट और पेन ड्राईव दिखाते हुए कहा।
आगे की बातों से पता चला कि झा साहब पचास हजार का लैपटॉप खरीद लाये हैं बिना यह जाने कि दो लैपटॉप के मॉडल्स में क्या क्या फर्क हो सकता है। हार्ड डिस्क, रैम और प्रोसेसर जैसे शब्द उन्होंने पहली बार मुझसे ही सुने। झा साहब ने लैपटॉप पर गाना बजाना सीख लिया था और इस बात से बार बार उत्तेजित हो जाते कि कैसे लैपटॉप पर अंगुली घुमाने से गाने की आवाज कम और ज्यादा हो जाती है।
मैं यह जानने के लिये बहुत बेताब था कि झा साहब ने किस उद्देश्य के लिये लैपटॉप खरीदा था। कुछ देर में इसका भी खुलासा हो गया।
“इंटेरनेट पर शेयर ट्रेडिंग करूंगा।” उन्होंने बताया।
“आपको बाजार की जानकारी है?”
“इसमें जानकारी क्या? सुबह खरीदा, शाम को बेचा। सौ रुपये भी बढ़ गये तो अपनी जेब में।” झा साहब ने बहुत ही लापरवाही से बताया।
कितना जोखिम आप ले सकते हैं
“मगर झा साहब शेयरों में वही पैसा लगाइये जो डूब भी जाये तो गम न हो। शेयर बाज़ार में जोखिम हो सकता है ।” मैंने चिंतित होते हुए कहा।
“ज्यादा नहीं, एक लाख से ही शुरू करुंगा, आप चिंता न करें, पिता जी पिछले महीने ही रिटायर्ड हुए हैं, पैसों की कमी नहीं।” जाते जाते झा साहब ने कहा।
झा साहब के जाने के बाद थोड़ी देर तक मैं खुद ही हंसता रहा। मगर अचानक मुझे पिछले सप्ताह सरदारजी से हुई बातें याद आ गयीं। मेरा दिल धक से रह गया।
क्या वाकई यह बात कोई संकेत देती है?
आशा है कि Share Market Risks in Hindi शेयर बाजार में सावधानियां और खतरे से आपने भी कुछ सीखा होगा.
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