यह भी रंग विकास के
14 वर्षिय आरती धवन अपनी अत्मविश्वास से भरी मुस्कुराहट के साथ अपने काम्पेक के काले लैपटॉप पर कभी पावर प्वाईंट पर कोइ स्लाईड दिखाती है और कभी एक्सेल पर अपने 33 वर्षिय चाचा संतोष धवन के महीने के खर्चे का हिसाब दिखाती है। गन्ने का खेत यह सब करने के लिये शायद ठीक जगह नहीं है मगर यदि आप महाराष्ट्र के बारामती में हैं तो आपको इससे अच्छी कोइ जगह नहीं मिलेगी।
नवीं कक्षा में पढ़ने वाली इस शर्मीली सी लड़की ने कम्प्यूटर केवल दो साल पहले अपने स्कूल की कम्प्यूटर लैब में देखा था। इतने से समय में आरती न सिर्फ वर्ड, एक्सेल और पावर प्वाइंट सीख गई है, उसने 30 एकड़ खेत के मालिक अपने किसान चाचा को इमेल करना और इंटरनेट चलाना भी सिखा दिया है।
एक साल पहले इन लोगों ने एक डेस्कटाप कम्प्यूटर खरीदा था जिसका प्रयोग ये लोग नेट पर कृषि संबंधी जानकारी लेने के लिये करते हैं। “हम नेट पर खोजते हैं कि अंगूर की अलग अलग जातियों की अच्छी देखभाल कैसे की जाये” मुस्कुराते हुए आरती बताती है।
काम्पेक के जिस लैपटॉप को खुश होते हुए आरती दिखा रही है, वह लैपटॉप उसे उपहार में दिया इंटेल के चेयरमैन Craig Barrett ने पिछले महीने जब वो धवन के घर आये । धवन घर के आहाते में बंधी अपनी वो गाय दिखाना नहीं भूलते जिसका दूध Craig Barrett ने भी पिया।
यह है भारत के बारामती और बहुत से कई दूसरे ग्रामीण क्षेत्रों का वह सच जिस पर सहजता से विश्वास नहीं होता।
बारामती के लगभग सौ गांव मुख्यतः खेती और पशुपालन से अपना गुजारा करते हैं। यह सब गांव इंटेरनेट मय हो गये हैं। पूने से 120 किमी दूर इस तालुके में जब आप प्रवेश करते हैं तो चिकनी सड़कें आपका स्वागत करती हैं। इंटेल ने अपने अनूठे Wimax प्रोजेक्ट को लागू करने के लिये बारामती को चुना है।
(बिजनेस टुडे के 17 दिसंबर अंक में छपे एक लेख के एक भाग का मेरे द्वारा किया हिंदी रूपांतर)
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