जी हां इंटेरनेट का धोखा फिशिंग (phishing) अब नये रूप में आपके मोबाइल पर आगया है जिसे कहते हैं विशिंग (Vishing )।
आज के इकॉनामिक टाइम्स में छपे एक समाचार के अनुसार वर्चुअल दुनिया के धोखेबाज अब और भी चालाक हो गये हैं। ये धोखेबाज इंटेरनेट पर उपलब्ध कुछ सॉफट्वेयरों से युद्धस्तर पर एक साथ सैंकड़ों फोन नम्बरों पर इंटेरनेट से फोन मिला कर ग्राहकों तक पहुंचते हैं। ग्राहक इसे बैंक से आयी ऑटोमेटिड कॉल समझ लेते हैं। बदले में ऊधर से आती आवाज ग्राहक से अपने बैंक अथवा क्रैडिट कार्ड का नंबर तथा अन्य विवरण ले लेती है।
जानकारों ने चेताया है कि यदि आपसे कोई फोन कॉल पर क्रेडिट कार्ड के नंबर के साथ तीन अंकों वाला कार्ड के पीछे छपा Card Verification Value (CVV) भी मांगे तो कभी भी इसे न बतायें और न ही इस नंबर को दबायें। इस सॉफट्वेयर में हर अंक के लिये अलग आवाज निश्चित होती है जिसके कारण आपके द्वारा दबाये गये सभी नंबरों का उन धोखेबाजों को पता चल जाता है। फिशिंग में जहां धोखेबाजों को बैंक की साईट से मिलती जुलती साईट बनानी पड़ती है विशिंग में इतनी ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती।
फिशिंग मे आपके पास आयी इमेल आपको आपके बैंक से मिलती जुलती एक साईट पर ले जाती हैं और आपसे आपकी बैंक अथवा क्रेडिट कार्ड की जानकारी पिन नंबर के साथ ले ली जाती है जिससे हो सकता है कि धोखेबाज आपके बैंक एकाऊंट से पैसा निकालने अथवा आपके कार्ड के बदले ऑनलाइन खरीदारी करने में सफल हो जायें।
तो यदि आपके साथ ऐसा हो तो सतर्क रहे और अपने बैंक अथवा कार्ड की जानकारी किसी को भी न दें और अपना पिन नंबर तो भूलकर भी कभी किसी बैंक के कर्मचारी को भी न बतायें।
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