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पारसी थियेटर, मुग़ले आज़म और माचिस की तीलियां

कुछ दिनों से टीवी पर खूब फिल्में देखी जा रही हैं। हर शाम समाचार चैनलों या इंटरनेट पर समय बिताने के बजाय कुछ अच्छी फिल्में देखने की कोशिश कर रहा हूं।
परसों टीवी पर मुग़लेआज़म देखी। नयी तकनीक से इसे पूरी तरह रंगीन और डिजिटल सर्रांउंड साउंड में बना दिया गया है। फिल्म के भव्य सैट रंगीन होने के बाद और भी भव्य और शानदार दिख रहे हैं। हैरान हो देखता रहा कि श्वेत श्याम रंगों में फिल्मायी गयी फिल्म में कैसे रंग भर कर गहनों, कपड़ों और फूलों की बारीक खूबसूरती को उभारा गया है। आपने यदि यह फिल्म रंगों में न देखी हो तो जरूर देखें।

फिल्म की खास संवाद अदायगी के बारे में बच्चों को बताता रहा कि जिस तरह के लंबे लंबे डायलॉग ड्रामाई अंदाज़ से बोले जा रहे हैं यह पारसी ड्रामों से आया हैं। बच्चों को बता रहा था सोहराब मोदी के बारे में   कि कैसे वो  अपनी जानदार आवाज में पारसी थियेटर के अंदाज़ में संवाद बोला करते थे। फिल्म में जब विज्ञापन आते तो आदत अनुसार रिमोट का बटन दबता और समाचार चैनल लग जाता। वहां हम सोहराब मोदी के पारसी थियेटर की बात कर रहे थे और यहां सोनिया और मोदी की नौटंकी चल रही थी। मौत के सौदागर जैसे डायलॉग चल रहे थे। स्टूडियो में बैठे दोनो तरफ के नेता खूब नफरतें उगल रहे थे और एंकर बीच बीच में  माचिस की तीलियां छोड़ रहे थे।

कल शाम जब काम से वापिस आ रहा था तो एफएम गोल्ड पर क्रिकेट मैच के बाद ’माचिस’ का गीत बज रहा था।

दिल दर्द का टुकड़ा है पत्थर की डली सी है

इक अंधा कुआं है या  बंद गली सी है

इक छोटा सा लम्हा है जो खत्म नहीं होता

मैं लाख बुझाता हूं ये भस्म नहीं होता…..

machis

नफरतें फैला कर राजनीति करने वालों पर गुलजार साहब की बहुत अच्छी टिप्पणी है माचिस।  गीत दिमाग में अटक सा गया।  घर पहुंचा तो बिजली गुल थी। मैं बाजार की और निकल गया। वापसी पर कदम अपने आप एक सीडी की दुकान में घुस गये। सामने एक दो अंग्रेजी फिल्मों के बीच अनारा पर बनी फिल्म की सीडी पड़ी थी। कवर पर बड़ा सा मोबाइल बना था जिसमें एम एम एस चलता दिखाया था।

anara

मैं कुछ सीडियां छांटने लगा। एक के बाद एक सीडी पर गोविंदा, मिथुन, या संजय दत्त कोइ न कोइ बंदूक लिये खड़े थे। दुकानदार लड़का जो कि थोड़ा पिये हुए भी था बोला ’आपको किस टाइप की फिल्म चाहिए?’ उम्मीद तो नहीं थी कि वहां आंधी, मासूम या मौसम जैसी कोइ फिल्म मिल जायेगी फिर भी बोल दिया ’कोइ गुलजार टाइप।’

’वो कौन है?’ लड़का हैरान था। सामने सीडी पर अनारा जोर से हंसने लगी।

मुझे एक बंडल में माचिस की सीडी मिल गयी। वो भी शायद वहां इस लिये थी क्योंकि कवर पर चंद्रचूड़ सिंह  के हाथ में बंदूक थी। दिमाग में पहले ही शाम से ’छोड़ आये हम वो गलियां…’ बज रहा था। घर आ कर देखने लगा। पहली सीडी खत्म हुइ तो दूसरी के चलने तक हाथ फिर रिमोट पर गया और NDTV  लग गया। एक कार्यक्र्म समाप्त करते हुए प्रणव अंग्रेजी में बता रहे थे कि मोदी अपनी सभाओं में किसी मोहन लाल का बार बार नाम लेते हैं। कोई जा कर उन्हें बताये कि वो मोहन लाल नहीं मोहन दास है। उसके बाद जो क्लिप चली उसमें मोदी ने जो गुजराती में कहा वह तो समझ नहीं आया पर जो नाम मोदी ने लिया वो था ’ मोहन लाल करमचंद गांधी।’


Comments

5 responses to “पारसी थियेटर, मुग़ले आज़म और माचिस की तीलियां”

  1. How Do We know Avatar
    How Do We know

    ये मोहन लाल करमचन्द गान्धी.. इस पोस्ट को खत्म करने का बहुत बढिया तरीक था! वो मारा!

    माचिस! जितनी बार देखें, कम लगता है!

  2. Rohit Tripathi Avatar
    Rohit Tripathi

    Gulzar sahab ke kya kahne, shabd nahi hai bakhan karne ke, aap bhi kuch kam nahi likhte ………likhte rahiye :-)

  3. corikamaal « आईना Avatar
    corikamaal « आईना

    […] जो कि यहां और यहां है और जिसे यहां और यहां से चुराया गया […]

  4. sanjeet Avatar
    sanjeet

    parasi theatre per koi kitab ho to batae badi meherbani hoge.

  5. Anonymous Avatar
    Anonymous

    Nice Movie. Where can I find more Video Clips and free Movie Download on Internet? I want to download Free Hindi Movies from Internet.

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