अनूप जी ने एक बार चिट्ठाचर्चा में लिखा था सबेरे से बांचते रहे अखबार, चवन्नी भर सरक गया इतवार. आप सब के चिट्ठे बांचते बांचते और अपना लिखते लिखते पूरा 2006 साल ही सरक गया। आज जब साल 2006 जा रहा है तो सोचा पूरे साल के घटनाक्रम पर एक नजर डाल ली जाये। मगर कुछ याद ही नहीं आता कि 2006 में ऐसा उल्लेखनीय क्या क्या हुआ। थक कर अखबार टटोला और कुछ न्यूज चैनल देखे तो पता चला कि 2006 में क्या क्या उल्लेखनीय हुआ।
मीडिया बता रहा है कि 2006 में मीका ने राखी को ‘किस’ कर दिया। ‘बिग बॉस’ में किन्हीं आर्यन और अनुपमा का कोइ लफड़ा हो गया और इसी साल में रामू ने डिसाईड कर लिया कि अपनी शोले में वे गब्बर किसे बनायेंगे और बसंती किसे बनायेंगे। सुंदरी भैंस के गुम होने जैसी अनेक घटनायें इस वर्ष में घटीं। इसके अलावा पूरा साल सामान्य रूप में गुजर गया।
हमेशा की तरह मनमोहन सोनिया की सुनते रहे और मिमियाते रहे। हमेशा की तरह राहुल बड़ी जिम्मेदारी को तैयार दिखे। मगर हमेशा की तरह कोई बड़ी जिम्मेदारी ले नहीं पाये। आडवानी प्रधानमंत्री बनने को उछलते रहे और हमेशा की तरह जोशी उनकी टांग खींचते रहे। हमेशा की तरह अटल आडवानी के साथ खड़े रहे। लालू घोटालों में बचते रहे। कम्यूनिस्ट अपना दबाव बनाते रहे मगर वित्त मंत्रालय अपना काम करता रहा। आम आदमी सपने देखता रहा और पिछड़ता रहा। पूंजीवाद समाजवाद का रूप लेकर सिंगूर में खून बहाता रहा। विदर्भ में किसान मरते रहे और मुम्बई में कुत्तों के वास्ते खाने के डिब्बों की सप्लाई की शुरुआत हुई। सामान्य तौर पर मंत्रियों, सांसदों और अभिनेताओं तथा बड़े लोगों पर मुकदमे चलते रहे और उन पर फैसले आते रहे। आतंकवादी कांड करते रहे और हमारे प्रधान मंत्री आतंकवाद रोकने के लिये पाकिस्तानी राष्ट्रपति से ही साझा कार्यक्रम बनाने का समझौता कर आये। इराकी मरते रहे और तेल के दाम चढ़ते रहे। मोबाईल हजार रुपये में मिला तो दालों की कीमत साठ रुपये और पैट्रोल पचास रुपये में बिकता रहा। प्रापर्टी के दाम हर सांस पर चढ़ते रहे और किसानों के खेत छिनते रहे। नये मॉल बनते रहे और दिल्ली में दुकानों पर सीलिंग होती रही। इस वर्ष कि शुरूआत से हमारे घर के पास से मैट्रो चलना शुरू हुई मगर दिल्ली वाले हमेशा की तरह बिजली और पानी को तरसते रहे।
यूं तो समय से बड़ा कोई गुरू नहीं मगर यह साल रहा कुछ गुरूओं के नाम।
सबसे पहले गुरू शीबू सोरेन जिन्हें उनके जानने वाले गुरूजी कहते हैं। देश के इतिहास में पहली बार कोई मंत्री ह्त्या का दोषी पाया गया। पता चला है कि अब गुरू जी तिहाड़ में दूसरे कैदियों को पढ़ा रहे हैं। इसके बाद संसद में जब बीजेपी वाले चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे “प्रधान मंत्री जवाब दो कितने मंत्री खूनी हैं?” एकदम उसी समय कोर्ट से एक फैसला आया जिसमें बीजेपी के अपने सांसद सिद्धू गैर इरादतन हत्या के दोषी पाये गये। सिद्धू भी बात बात पर “ओये गुरू……” कहने के लिये जाने जाते हैं।
क्रिकेट में गुरू हैं गुरू ग्रेग। पूरा 2006 निकल गया प्रयोग करते करते । नतीजे शायद 2007 में आयेंगे।
एक और अपने गुरू हैं रामदेव। वादों और विवादों में दवाओं के दावे और इलाज के वादे करते रहे। वृंदा कारत से लेकर रामदौसा तक से पंगे लिये।
एक हैं अफजल गुरू। रमन जी ने बताया कि यह गुरू नहीं गूरू है। जिस दिन मैं काबुल एक्सप्रैस फिल्म देख कर आया और लिख रहा था कि हमें हर आदमी के अंदर छिपे मानवीय चेहरे को देखना चाहिये उसी वक्त एन्डीटीवी पर चलते एक सीडी में यह गुरू अपने सारे दोष स्वीकार कर रहे थे और स्वंय ही अपने उन हिमायतियों को सबक दे रहे थे जो ‘अनफेयर ट्रायल’ की बात करके अफजल को माफी देने की मांग कर रहे थे।
एक और गुरू की बात करना चाहूंगा जो शायद अब हम अगले साल ही देख पायेंगे। जी हां मैं मनीरत्नम की फिल्म ‘गुरू’ की बात कर रहा हूं। ओंकारा के बाद यदि 2006 में मैंने कोइ संगीत सुना है तो वो है ‘गुरू’ का संगीत। जैसा ट्रेलर्स में देखा है उससे लगता है कि यह फिल्म अभिषेक के लिये वही कर सकती है जो जंजीर ने अमिताभ के लिये किया।
गुरू में अभिषेक
आखिर में मैं एक और गुरू का जिक्र करना चाहूंगा। वो हैं हम सब के प्रिय समीर लाल जी। वर्ष 2006 में उन्होंने चिट्ठा जगत में प्रवेश किया और छा गये और तब से लेकर हमारे दिलों पर राज कर रहे हैं। कुछ चिट्ठाकारों को उनकी कुंडलियां इतनी अच्छी लगीं कि उन्हे अपना गुरू बना लिया।
साल 2006 सरक गया है और साल 2007 आ रहा है। जो उपेक्षित और पिछड़े रह गये हैं उम्मीद करते हैं कि नया साल उनके लिये नयी खुशियां और सपने ले कर आयेगा। हंसते हुए पुराने को विदा करें और और नये का स्वागत करें।
आप सब के लिये नया वर्ष मंगलमय हो।
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