“नमस्कार दर्शको, आज हमारे बीच हैं सरदार मन्नू भाई। आपको हमारा पिछली बार मूषकर जी का लिया हुआ इंटरव्यू तो याद ही होगा, उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज हम पेश कर रहे हैं सरदार मन्नू भाई जी से एक इंटरव्यू। यूं तो यह इंटरव्यू पूरी तरह से कालाप्निक है मगर आपको एकदम असली सा लगेगा और मुझे उम्मीद है कि आपको खूब पसंद भी आयेगा.”
“नमस्ते मन्नू जी”
“नमस्ते जी नमस्ते !”
“सबसे पहले आप यह बताईये कि आप लोगों ने वंदे मातरम को लेकर इतना बवाल मचाया मगर जब वंदे मातरम गाने का असली दिन आया तो आपकी टीम के सभी सदस्य गायब हो गये?”
“ओ मैं तो जी रोज ही वंदे मातरम बोलता रैंदा वां। जाब भी मैडम जी का फोन आंदा हैं मैं तां गुड मार्निंग या नमस्ते दी जगह वंदे मातरम ही बोलदा वां। (हाथ जोड़ कर, आंखे मूंदते हुए बोलते हैं) मैडम जी वंदे मातरम ! आखिर यह साब उनकी वजह से ही तो है। (फिर से भाव विभोर होते हुए) वंदे मातरम !”
“आप आजकल कम गिनती वालों के बारे में बहुत बात करते हैं, कभी रिजर्वेशन देने की बात करते हैं तो कभी रिसोर्सेस पर पहला अधिकार देने की बात करते हैं जबकी पचास सालों में आपकी टीम ने उनके लिये कुछ नहीं किया?”
“हुण वी असी कुज्ज नहीं कार रहे, हम तो सिर्फ कह ही रहे हैं। चुनावों ताक्क !”
“और चुनावों के बाद?”
“अगले चुनावों ताक्क इंतजार करेंगे फिर यही कुछ बोलने लगेंगे !”
“आजकल कुछ आर्थिक सुधारों पर गति नहीं आ रही है?”
“ओ जी मैं आपको अंदर दी गल दस्सां ! साडे मिस्टर पी दमड़ियम आपना लैपटॉप ले कर बांद कमरे विच पूरी सकीम बणा रहे नें। बजट तो पैलां कुझ नहीं दसना नहीं तो लाल झंडे वाले शोर मचाने लाग जान गे। ”
“और यदि बजट के बाद उन्होंने शोर मचाया तो।”
“ओ ते जी मैडम जी संभाल लैणगे। बाकी थोड़ा कुछ बजट विच असी कोसमैटिक चेंज वी कर दयांगे। ओ वी खुश ते असी वी खुश।”
“दर्शको मन्नू जी से हमारा इंटरव्यू जारी रहेगा ब्रेक के बाद। ब्रेक पर जाने से पहले आपको बता दें कि हमारे अगले कार्यक्रम के लिये स्टूडियो में आ रहे हैं साहनिया जी और राहकुल जी । तो मिलते हैं ब्रेक के बाद।”
(ब्रेक के बाद)
“अरे मन्नू जी आप हाथ जोड़ कर खड़े क्यों हो गये?”
“तुस्सी तो हुणे केहा कि मैडम ते बाबा स्टूडियो विच आ रहे नें।”
“अरे नहीं नहीं मन्नू जी आप गलत समझ गये। हमारा अगला कार्यक्रम खेलों का है तथा उसमें टेनिस खिलाड़ी साहनिया भिड़जा तथा क्रिकेट खिलाड़ी राहकुल दिवारगिरी आ रहे हैं, आपके मैडम और बाबा नहीं।”
(बैठ जाते हैं, चेहरे पर थोड़ा चैन आता है मगर अब कुछ असहज हो गये हैं)
“अच्छा आपने जो मिस्टर खुश के साथ नो क्लियर डील की उसके बारे में कुछ बताइये।”
“…………!” (अनसुना कर देते हैं)
“आपको कैसे लगा कि चूहों को पकड़ने में मूषकर जी हमारी सयाहता करेंगे?”
“…………!”(बगलें झांकने लगते हैं)
“निठारी के उत्तम प्रदेश में अगर हालत इतने ही खराब हैं तो आप अपना हाथ वहां से खींच क्यों नहीं लेते?”
“…………!” (कुछ कुछ घबराने लगते हैं)
“एसइजेड पर मचते शोर तथा किसानों की आत्महत्यांओ पर….?”
.”…………!” (रुआंसे से हो जाते हैं)
“लोगों को मॉल और मोबाइल चाहियें या पानी और बिजली….?”
(जोर से बिफर पड़ते हैं) “ओ मैडम जी बचाओ ! मैणूं कित्थे फंसा दित्ता……… !”
पूर्व में लिये गये इंटरव्यू
मूषकर जी का इंटरव्यू
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