Category: साहित्य
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अमृता प्रीतम की कुछ कवितायें Poems By Amrita Pritam
अमृता प्रीतम की कुछ कवितायें Poems By Amrita Pritam एक मुलाकात मैं चुप शान्त और अडोल खड़ी थी सिर्फ पास बहते समुन्द्र में तूफान था……फिर समुन्द्र को खुदा जाने क्या ख्याल आया उसने तूफान की एक पोटली सी बांधी मेरे हाथों में थमाई और हंस कर कुछ दूर हो गया हैरान थी…. पर उसका चमत्कार…
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ये तलवार वाले… नाक के रखवाले
केमिकल लोचा- संदर्भ :- गांधीगिरी. मित्रो, यहाँ प्रस्तुत है मेरी लिखी एक कविता ये तलवार वाले… नाक के रखवाले. यूं तो मैं कोई कवि नहीं हूँ मगर कभी कभी यूं ही अपने विचार इस तरह से प्रगट कर देता हूँ. आशा है मेरा यह प्रयास आपको पसंद आएगा. कुछ दिन से ढंग से मैं सो…
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अमृता प्रीतम की एक कविता Poem by Amrita Pritam
अमृता प्रीतम की एक कविता Poem by Amrita Pritam एक घटना तेरी यादें बहुत दिन बीते जलावतन हुईं जीतीं हैं या मर गयीं- कुछ पता नहीं सिर्फ एक बार एक घटना हुई थी ख्यालों की रात बड़ी गहरी थी और इतनी स्तब्ध थी कि पत्ता भी हिले तो बरसों के कान चौंक जाते.. फिर तीन…
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“बिरह” का सुलतान – शिव कुमार बटालवी Shiv Kumar Batalvi
बिरह का सुलतान – शिव कुमार बटालवी Shiv Kumar Batalvi (ਸ਼ਿਵ ਕੁਮਾਰ ਬਟਾਲਵੀ) शिव कुमार बटालवी पंजाबी के ऐसे आधुनिक कवि हैं जिनके गीतों में पंजाब के लोकगीतों का आनंद भी हैं। शिव का जन्म 23 जुलाई 1936 को शकरगढ़, पंजाब (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार बटाला में आ…
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ओ हरामजादे – 2 O Haramzade Story by Bhishm Sahani
ओ हरामजादे – 2 O Haramzade Story by Bhishm Sahani (लेखक भीष्म साहनी, राजकमल प्रकाशन से साभार) ओ हरामजादे -1 से आगे तिलकराज की और मेरी हरकतों में बचपना था, बेवकूफी थी। पर उस वक्त वही सत्य था, और उसकी सत्यता से आज भी मैं इन्कार नहीं कर सकता। दिल दुनिया के सच बड़े भॊंडे…
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ओ हरामजादे O Haramzade Story by Bhishma Sahni
ओ हरामजादे O Haramzade Story by Bhishma Sahni घुमक्कड़ी के दिनों में मुझे खुद मालूम न होता कि कब किस घाट जा लगूंगा। कभी भूमध्य सागर के तट पर भूली बिसरी किसी सभ्यता के खण्डहर देख रहा होता, तो कभी युरोप के किसी नगर की जनाकीर्ण सड़कों पर घूम रहा होता। दुनिया बड़ी विचित्र पर…
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Poem On Female Feticide in Hindi तुम मुझे जन्म तो लेने देते
Poem On Female Feticide in Hindi तुम मुझे जन्म तो लेने देते हो सकता है जज बन जाती देती हजारों को मैं न्याय बन पुलिस ऑफिसर पापा कितनों को दिखलाती राह डाक्टर बन देखते पापा कितनों की बचाती जान ओलंपिक में जा देश के पूरे करती सब अरमां गर बन जाती कल्पना चावला जग में…
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अपने प्यारे पापा को कविता
अपने प्यारे पापा को कविता. कल फ़ादर डे पर यूं ही एक कविता लिखने की कोशिश की है. वैसे तो मैं कवि नहीं हूँ और कविता लिखने की कुछ समझ भी नहीं है फिर भी कभी कभार कोशिश कर लेता हूँ. आशा है आपको पसंद आएगी और आप इसे जरूर सराहेंगे. यह कविता समर्पित है…