Category: साहित्य
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उमरां दे सरवर – Shiv Kumar Batalvi के गीत का हिंदी अनुवाद
उमरां दे सरवर Shiv Kumar Batalvi के गीत उमरां दे सरवर का हिंदी अनुवाद। जो लोग पंजाबी नहीं समझ पाते उनके लिए।
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बंटवारा हिंदी कहानी
बंतवारा १९४७ के भारत पाकिस्तान के बंटवारे के समय की सच्ची घटना पर आधारित एक बहुत ही मार्मिक कहानी है।
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गंजहों की गोष्ठी – चुटीले अंदाज में तीर
गंजहों की गोष्ठी साकेत सुर्येश द्वारा लिखित हिंदी व्यंग पुस्तक है। सकेत जी को जिन्होंने ट्विटर पर पढ़ा है वह जानते हैं की किस तरह इस तरह के चुटीले वाक्य उनकी विशेषता हैं। आज के समय में जब सोशल मीडिया पर हर कोई राजनैतिक बहस में पड़ा है, राजनीति में हो रहे हर समय के…
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Poem by Amrita Pritam – Ek Shehar एक शहर – अमृता प्रीतम
Ek Shehar Poem by Amrita Pritam एक शहर – अमृता प्रीतम 1. अस्पताल के दरवाजे पर हक, सच, ईमान और कद्रें, जाने कितने ही लफ्ज़ बीमार पड़े हैं इक भीड़ सी इकट्ठी हो गयी है, जाने कौन नुस्खा लिखेगा जाने यह नुस्खा लग जायेगा, लेकिन अभी तो ऐसा लगता है इनके दिन पूरे हो गये……
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राजनीति के ’पिंजर’ में फंसा लोकतंत्र
अमृता प्रीतम का उपन्यास ’पिंजर’ मैंने तब पढ़ा था पहली बार जब में स्कूल में ही था। उसके बाद जाने कितनी ही बार पढ़ लिया। आज जब हम आजादी की सालगिरह मना रहे हैं तो मन कहता है कि इस उपन्यास के बारे में कुछ लिखूं। बंटवारे की पृष्टभूमी पर लिखे गये इस उपन्यास पर…
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मंटो की कहानी टोबा टेक सिंह Toba Tek Singh by Manto
मंटो की कहानी – टोबा टेक सिंह Toba Tek Singh by Manto मंटो की कहानी टोबा टेक सिंह : बंटवारे के दो तीन साल बाद पाकिस्तान और हिंदुस्तान की हुकूमतों को ख्याल आया कि इखलाकी क़ैदियों की तरह पागलों का तबादला भी होना चाहिए यानी जो मुसल्मान पागल, हिंदुस्तान के पागल-ख़ानों में हैं उन्हें पकिस्तान…
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शिव कुमार बटालवी के कुछ गीत
शिव कुमार बटालवी के कुछ गीत Songs By Shiv Kumar Batalvi शिव कुमार बटालवी के गीतों को बड़ी शिद्दत से पंजाब में पढ़ा जाता है. आप भी पढ़िए उनके बटालवी के कुछ गीत.
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माँ – निदा फा़ज़ली Maa by Nida Fazli
माँ – निदा फा़ज़ली Maa by Nida Fazli निदा फा़ज़ली की तीन नज़्में एक दिन सूरज एक नटखट बालक सा दिन भर शोर मचाए इधर उधर चिड़ियों को बिखेरे किरणों को छितराये कलम, दरांती, बुरुश, हथोड़ा जगह जगह फैलाये शाम थकी हारी मां जैसी एक दिया मलकाए धीरे धीरे सारी बिखरी चीजें चुनती जाये। माँ…
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वारिस शाह नूं – अमृता प्रीतम
आज बैसाखी के अवसर पर अमृता प्रीतम की एक रचना और उसका हिंदी अनुवाद। 1947 पर लिखी गयी यह रचना वारिस शाह को संबोधित है जिन्होंने ‘हीर’ लिखी थी। हीर कहानी है हीर के अपने रांझे से बिछुड़ने की. वारिस शाह ने हीर की पीड़ा लिखी थी. यहाँ अमृता उलाहना दे रहीं हैं कि जब…