नमस्कार, स्वागत है आपका हमारे इस कार्यक्रम में। हमारे आज के मेहमान हैं हमारे और आपके पड़ोसी मूषकर जी। वैसे तो हम यहां इनसे इंटरव्यू की पैरोडी पेश कर रहे हैं मगर हो सकता है कि यह आपको असली जैसी लगे, क्योंकि अकसर इनके द्वारा दिये गये असली इंटरव्यू पैरोडी जैसे लगते हैं।
सवाल: मूषकर जी, आपसे सबसे पहला सवाल है कि आपके पड़ोसी हमेशा इलजाम लगाते हैं कि आप उनके घरों में चूहे छोड़ देते हैं और ये चूहे वहां धमाचौकड़ी मचा कर आपके घर वापिस आ कर छुप जाते हैं।
जवाब: देखिये मुझे यह कहना पड़ेगा कि यह गलत इलजाम है। कोई भी इस तरह के इलजाम को पब्लिकली एक्सेप्ट नहीं करेगा। मैंने अपनी बुक में भी यह क्लीयर कर दिया है कि कोई भी ऎसा प्रूफ नहीं दे पाया जिसे हम मान लें। बल्कि हम तो हमारी सोसायटी के सेक्रेटरी खुश साहब को मदद कर रहे हैं चुहे पकड़ने में। कुछ चुहे खुश साहब के घर जाकर धमाचौकड़ी मचा कर हमारे पड़ोस में छुप गये थे। खुश सहब ने तो यह मुहावरा भी पलट दिया कि “खोदा पहाड़ निकली चुहिया।” खुश साहब ने सारे पहाड़ खोद लिये कोई मरा चुहा भी नहीं निकला हें हें हें…..।
सवाल: मगर हमने सुना है कि ये चूहे भी आप ही के घर के किसी उत्तरी कमरे में……
जवाब: ऒय़ॆ फिट्टे मूं ! नेक्स्ट कोश्चन?
सवाल : लोग अकसर अपनी जीवनी रिटायर्ड होने के बाद लिखते हैं मगर आपने अपने कार्यकाल में ही…..?
जवाब: ओये ! तो क्या तुम चाहते हो कि मैं अपनी जीवनी मरने के बाद लिखता?
सवाल : सुना है कि पिछले दिनों जब आप खुश साहब से मिलने गये थे तो आपको आपके घर से ही निकालने की तै्यारी हो रही थी जब घंटों आपके घर की बिजली नहीं जली थी?
जवाब: ओये ! जब तुम्हारे घर में घंटों बिजली जाती है तो कोई कुछ नहीं कहता! बस एक आधा ब्लागर एक दो पोस्ट लिख देता है, हमारे यहां जब बिजली चली जाती है तो तुम कहानियां बनाने लगते हो।
सवाल: आपने अपनी किताब में जो कुछ लिखा बाद मैं कई चीजों पर आपने माना कि गलती से लिख दिया?
जवाब: हम हर बात हर किसी को उसकी शक्ल देख कर बोलते हैं, अब किताब में तो ऎसा हो नहीं सकता। अब लगता है कि अमेंडमेंटस की एक किताब अलग से लिखनी पड़ेगी। मैं तो पहले ही कह रहा था कि किताब पेंसिल से लिख लेते हैं और किताब के साथ साथ पढ़ने वालों को मिटाने वाला रबड़ भी दे देंगे। जितना सूटेबल हो पढ़ लो वरना मिटा दो।
सवाल: आपने अपनी किताब में लिखा है कि आप कालेज में ही बम बनाना सीख गये थे?
जवाब: बम लिखा गया? अरे वो पटाका था जो आप लोग दिवाली पर चलाते हैं। मैंने क्या किया कि उसमें एक बीड़ी बांध दी और बन गया टाईम बम। (गुनगुनाने लगते हैं) बीड़ी जलाई ले जिगर से…..
सवाल: अरे आप हिंदी गाना? आपके यहां तो हिंदी फिल्में बैन हैं?
जवाब: भई पाइरेटिड डीवीडी तो बैन नहीं हैं। मुझे यह फिलम अच्छी लगी, खास कर लंगड़ा त्यागी। बंदा कुछ कुछ मेरे जैसा ही था। (कुछ रुक कर)……..एंबीशियस।
सवाल: फिर तो आपने लगे रहो मुन्ना भाई भी देखी होगी
जवाब: फिट्टे मूं! ये भी कोई फिलम है? अपने यहां तो बदाम गिरी या अखरोट गिरी होती है। बई ये गांधीगिरी अपने को समज नहीं आती।
उद्घोषक : जिस दिन आप जैसे लोगों को गांधीगिरी की समझ आ जायेगी उस दिन शायद इस दुनिया में स्वर्ग ही उतर आयेगा……..नमस्कार।
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