आज सुबह सुबह शेव करते हुए अचानक वाश बेसिन में देखा, एक काला मोटा चीँटा घूम रहा था। इस डर से कि अभी बच्चे ब्रश करने आएंगे तो कहीं चींटा उन्हे काट न ले, मैने शेव के मग्गे का पूरा पानी चीँटे पर उढ़ेल दिया। मैंने सोचा चीँटा बह जाएगा। मगर थोड़ी देर में देखा, चीँटा फ़िर वाश बेसिन के छेद से निकल कर वाश बेसिन मे घूमने लगा।
मैने दोबारा और फ़िर तिबारा पानी का भरा मग्गा उस पर उढ़ेल दिया, मगर हर बार वह विजयी हो कर छेद से वापिस निकल आता।
आज पूरा दिन वह मोटा, काला चीँटा बार बार धीरे धीरे वाश बेसिन पर चढ़ता, मेरी आँखों के आगे घूमता रहा।
क्या तो चीँटे का शरीर और क्या चीँटे की जान, मगर वो हारा नहीं। कमजोर नहीं हुआ मुश्किलों के आगे।
एक हम इंसान हैं!
ताकतवर शरीर, तेज बुद्धी, हर प्रकार की सुविधा, मगर जिंदगी कि छोटी छोटी परेशानियों से कैसे घबरा जाते हैं।
अभी कल ही की बात है दिल्ली पब्लिक स्कूल की एक छात्रा ने कम नंबर आने पर आत्महत्या कर ली।
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