हिंदी चिट्ठाकारी में दो माह का समय बहुत ज्यादा है। पिछले दो माह में मैंने यहां बहुत कुछ नया जाना, नया अनुभव किया उसे आप से भी बांटना चाहता हूं।
एग्रिगेटर का महत्व: इस बात पर तो मैं और अन्य कई चिट्ठकार लिख चुके हैं कि जब आपका चिट्ठा पुराना हो जाता है तो चिट्ठे पर पाठकों को लाने के लिये एग्रीगेटरों का इतना महत्व नहीं रहा जाता है। मगर मैंने अब जाना कि यदि चिट्ठा अपेक्षाकृत नया भी हो तो भी एग्रीगेटरों का इतना महत्व नहीं रहता है। एग्रीगेटर आपको पाठक नहीं भेजता मगर अन्य चिट्ठों के लेखक भेजता है जो आपका चिट्ठा पढ़ते हैं। पाठक आपके पास गूगल भेजता है।
विवादों से चिट्ठा हिट होता है: एकदम गलत। आप अच्छी सूचना दें इससे आपका चिट्ठा हिट होता है। आपके विवाद एक दिन के लिये आपको हिट्स दिलवा सकते हैं हमेशा के लिये नहीं। विवाद काठ की हांडी ही हो सकते हैं।
हिंदी कभी नहीं कमा सकती: कमाई हिंदी नहीं करती। कमाई करता है आपका चिट्ठा जो कि हिंदी में भी हो सकता है। इंटेरनेट कोई किताबी प्रकाशन नहीं है जिसका पाठक बहुत गरीब है और खरीद कर नहीं पढ़ता इसीलिये बेचारा हिंदी का लेखक हमेशा गरीब ही रहेगा। यहां तो कमाई शुद्ध रूप से आवाजाही पर निर्भर करेगी न कि चि्ट्ठे की भाषा पर। यदि विज्ञापन कह रहा है ’मोबाइलफोन जीतिये’ तो पाठक उस पर क्लिक कर देगा यह देखने के लिये कि मोबाइल फोन कैसे जीता जा सकता है। अब बताइये इस बात से क्या फर्क पड़ेगा कि यह विज्ञापन हिंदी के चिट्ठे पर था या अंग्रेजी के चिट्ठे पर?
कम टिप्पणियों का मतलब कम पाठक : यह बात सही भी हो सकती है मगर गलत भी हो सकती है। पाठक अगर टिप्पणी नहीं कर रहा तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि वह आपको पढ़ नहीं रहा है। अधिकतर पाठक तकनीकि कारणों से टिप्पणी नहीं करता। हमेशा इस बात की संभावना अधिक है कि आपको जानने वाला पाठक अधिक टिप्पणी करता है। अनजान पाठक कम टिप्पणी करता है। एक बात और यदि पाठक आपको जानता है और आप यदि विवाद पैदा करने वाले लेखक हैं तो भी पाठक चुपचाप पढ़ कर खिसकने में ही भलाई समझता है। टिप्पणी का आना इस बात पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है कि पाठक को आप कितना कंफर्ट लेवल देते हैं। नम्र भाषा में लिखे लेख पर आक्रामक भाषा में लिखे लेखों के मुकाबले ज्यादा टिप्पणियां मिलती हैं। छ्द्म नाम से लिखे जाने वाले चिट्ठों पर भी कम टिप्पणियां मिलती हैं।
हमें केवल चिट्ठालेखक ही पढ़ते हैं: यह बात कोई कहता नहीं है पर जब हम लिखते हैं तो हमारे दिमाग में यही छाया होता है तथा हम हमेशा चिट्ठालेखकों को ध्यान में रख कर ही लिखते हैं। वास्तव में ऐसा नहीं है। रवि जी को १३० के करीब पाठक फीड से पढ़ते हैं। अब यदि हम चिटठालेखकों के घेरे से बाहर का नहीं सोच रहे हैं तो हम जानते ही नहीं कि हमारे पाठक कौन हैं। यदि हमारी अधिकतर पोस्टों को समझने के लिये पाठकों को चिट्ठालेखक होना आवश्यक है तो हम कुंए के मेढक बन कर ही रह जायेंगे। अब आईना पर प्रकाशित पुराने लेखों को मैं आईना के बिंब पर दोबारा प्रकाशित कर रहा हूं। मगर सर्च करके आने वाले लेखक तो प्रतिदिन इस पुराने लेखों को पढ़ते ही हैं।
अब आप कहेंगे कि चिट्ठा लिखते तो मुझे काफी समय हो गया फिर यह सारा ज्ञान दो माह में ही क्यों आया?
लगभग ७५ दिन पहले मैंने प्रयोग के तौर पर ’मजेदार समाचार’ गूगल एड के साथ शुरू किया। कुछ आंकड़े:
कुल पेजलोड्स : ४४६५
एक दिन में अधिकतम पेजलोड्स : २५५
एक दिन में अधिकतक नये विजिटर्स : १५८
फीड सब्स्क्राइबर : १७
कमाई : इतनी कि ’मजेदार समाचार’ अपना डोमेन खरीद सकता है।
पांच सौ के लॉग में केवल दस पंद्रह प्रतिशत ही आये एग्रिगेटरों से
गूगल भेजता है धड़ाधड़ पाठक
तमिल पाठक भी आता है दोबारा (पूंजी बाजार पर)
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