abhishek bachan guru

सपने देखने वालों के लिये – गुरू Guru Film Review

सपने देखने वालों के लिये – गुरू Guru Film Review
एक बार एक पुस्तक में पढ़ा था “If no one is laughing on your dreams, your dreams are not big enough.” यह वाक्य मुझे हमेशा याद रहा। गुरु फिल्म में गांव का एक लड़का देश की सबसे बड़ी कम्पनी बनाने का सपना देखता है।
जैसा कि गुलजार ने फिल्म के एक गीत में लिखा है:
जागे है देर तक हमें
कुछ देर सोने दो
थोडी सी रात और है
सुबह तो होने दो
आधे-अधुरे ख्वाब
जो पुरे नहो सके
इक बार फिर से
नींद मे वो ख्वाब बोने दो….

abhishek bachan guru

ख्वाब कभी पूरे नहीं हो पाते, जब आप देश की सबसे बड़ी कम्पनी बनाने का ख्वाब देखते हैं, एक बहुत बड़ा सपना होता है यह और जब आप इसे छू लेते हैं तो आपका सपना होता है उसे दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनी बनाना।बहुत ही रोमांचकारी लगता है उस इतिहास पर फिल्म देखना जिस इतिहास को आपने स्वंय देखा हो। धीरू भाई अंबानी की जिंदगी पर बनी फिल्म ‘गुरू’ में आपको असल जिंदगी में घटा सब कुछ मिलेगा, स्टेडियम में होती कम्पनी की एजीएम, इंडियन एक्सप्रैस, गोयनका, शौरी तथा वाडिया। अंबानी को हीरो बनाने का एक बोल्ड सपना मनिरत्नम ने भी देखा। फिल्म में सरकारी लाईसेंस राज तथा भ्रष्टाचार से लड़ाई में एक्साईज तथा अन्य करों की चोरी को जायज भी दिखाने की कोशिश की गयी है। जहां आर्थिक सुधारों से पहले तक पूंजीपतियों को अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता था तथा मुनाफा एक घिनौना शब्द था, वहां गांव के एक कम पढ़े लिखे लड़के के इन सपनों की कैसी हंसी उड़ाई जाती है मगर गुरु हिम्मत नहीं हारते तथा पलट कर पूछते हैं, “क्यों हमें तीसरी दुनिया का देश कहा जाता है, क्यों नहीं हम भी पहली दुनिया का देश बन सकते?”

लोगों को खींचने के लिये फिल्म में गुलजार के गीत तथा ए आर रेहमान का संगीत तो है ही, मल्लिका शेहरावत का आईटम सांग भी है (यदि इसे देखना चाहते हैं तो थियेटर टाइम से पहुंचियेगा, पांच मिनट की देरी हुई तो आप इसे मिस कर देंगे) फिर भी यदि यह फिल्म चली तो अभिषेक के अभिनय की वजह से चलेगी। आज के समय का कोई अभिनेता अभिनय की उस बुलंदी को नहीं छू सकता जिसे अभिषेक ने सहजता से अभिनीत किया है गुरू में । फिल्म में विद्या बालन भी हैं एक मासूम से रोल में। पचास के दशक का फिल्मांकन जबर्दस्त है। यदि आप सपना देखते हैं तो यह फिल्म देख कर आइये, मुमकिन है कि आपको अपना सपना पूरा करना बहुत आसान लगने लगेगा और उसे पूरा करने की एक नयी हिम्मत भी आपको मिलेगी।


Comments

8 responses to “सपने देखने वालों के लिये – गुरू Guru Film Review”

  1. राकेश खंडेलवाल Avatar
    राकेश खंडेलवाल

    अच्छा लगा समीक्षा पढ़ कर, शायद इसे देख भी पाऊं
    लेकिन ये तब संभव होगा, थोड़ा समय कहीं से लाऊम
    समय बीत जाता है सारा, सपनों की दुनिया में खोये
    अगर जाग लूँ और देख लूँ, तब आकर फिर तुम्हें बताऊं

  2. समीक्षा पढके लगता है फिल्म देखनी पडेगी, धन्यवाद समीक्षा देने के लिये

  3. बहुत बेहतरीन समीक्षा, जगदीश भाई. फिल्म देखने का मन बन गया-बढ़ियां समीक्षा कर रहे हैं, आगे भी जारी रहें.

    आपका Quote काम का है, नॊट कर लिया गया है:
    “If no one is laughing on your dreams, your dreams are not big enough.”

  4. संजय बेंगाणी Avatar
    संजय बेंगाणी

    बड़े सपने या असम्भव से लगते सपने देखने वाले मुझे पसन्द है. पर रिलाइंस के लिए मन में वह सम्मान नहीं जो टाटा के लिए है.

    आपकी समिक्षा अच्छी लगी, फिल्म देखनी पड़ेगी.

  5. जगदीश भाटिया Avatar
    जगदीश भाटिया

    आप सभी का धन्यवाद।
    संजय भाई,
    आप फिल्म देख आयें, शायद रिलायंस के बारे में आप के विचारों पर कुछ असर पड़े।

  6. अनूप भार्गव Avatar
    अनूप भार्गव

    जगदीश भाई:
    फ़िल्म अच्छी तो लगी लेकिन इतनी अच्छी भी नहीं । शायद मणी रत्नम के नाम से बहुत ज्यादा आशाएं ले कर गया था ।
    कुछ मेरे विचार —
    १. संगीत निश्चय ही फ़िल्म की जान है । गुलज़ार साहब के गीत और रहमान का संगीत ।
    २. अभिषेक का अभिनय अच्छा था लेकिन इस से बेहतर अभिनय वह मणी रत्नम की ही पिछली फ़िल्म ‘युवा’ और अभी हाल ही में ‘सरकार’ में कर चुके हैं ।
    ३. ‘एक लो एक मुफ़्त’ गीत फ़िल्म से हटाया जा सकता था ।
    ४. मलिका शेरावत इस से अधिक आकर्षक और बेहतर ‘मर्डर’ फ़िल्म में लगीं थी ।
    ५. फ़िल्म के अन्त में अभिषेक का अभिनय उन के पिता की याद ही दिलाता है , लेकिन वह अपनें पिता की अभिनय क्षमता के करीब नहीं पहुँच पाते । अन्त में अदालत/आयोग का निर्णय भी अस्वाभाविक सा लगता है ।
    ६. ऐश्वर्या राय कुछ द्र्ष्यों में अधिक स्वभाविक लगती हैं (अपनी अन्य फ़िल्मों के मुकाबले ) , विद्या बालन का अभिनय अच्छा लगा ।

    कुल मिला कर एक बेहतरीन फ़िल्म हो सकती थी लेकिन अच्छी फ़िल्म बन कर रह गई ।

  7. सृजन शिल्पी Avatar
    सृजन शिल्पी

    कल शाम ‘गुरु’ देखी। अभिषेक अपने अभिनय के चरमोत्कर्ष पर दिखे। मिथुन दा और ऐश्वर्य का अभिनय भी शानदार लगा। लेकिन सबसे अधिक तारीफ के पात्र निर्देशक मणिरत्नम की करनी होगी।

    फिल्म के कथानक और संदेश के बारे में जो टिप्पणी आपने की है, उससे मैं भी सहमत हूँ। समय मिला तो मैं भी कुछ लिखना चाहूँगा इस पर।

  8. जगदीश भाटिया Avatar
    जगदीश भाटिया

    अनूप जी,

    आईना पर स्वागत है आपका।

    सृजन शिल्पी जी,

    आपके लेख का इंतजार रहेगा।

    शशि जी,

    बह्त अच्छा लिखा है आपने।

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