दस रुपये दो न माँ

मेरा बाहरवीं का रिज्ल्ट आया था उस दिन। बहुत अच्छे नंबर आये थे। क्लास में टॉप किया था। मैं बहुत खुश था। में पल भर के लिये घर में क्या चल रहा है यह भी भूल गया था।

स्कूल से आया तो मेरे पास होने का गली में शोर सा मच गया। घर में जैसे ही घुसा तो एकदम ठिठक सा गया।
माँ बहुत बीमार चल रहीं थीं।
थोड़ी देर में माँ ने बुलाया, तकिए के नीचे से दस रुपये निकाल कर दिये।.
कुछ बोल न पाईं।
इसके दो दिन बाद ही वो चल बसीं।
आज मातृ दिवस पर वो दस रूपये मिल नहीं रहे, जाने कहाँ रख दिये।
दस रुपये दो न माँ !!!!

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Comments

7 responses to “दस रुपये दो न माँ”

  1. मिर्ची सेठ Avatar
    मिर्ची सेठ

    जगदीश जी,
    पढ़कर ही आँखों में नमी आ गई।

    जहाज के यह पंछी भी अपनी माँ से बहुत दूर बैठे हैं देखते हैं कब उड़ते हैं वापिस

  2. आशीष Avatar
    आशीष

    वे दस रूपये खोये कहां है, वे तो आपके पास हरदम है, आपके दिल मे ।

  3. Pankaj Bengani Avatar
    Pankaj Bengani

    हृदयस्पर्शी

  4. Shelina Avatar
    Shelina

    Thank you for your translations on the blog. It is very helpful. I watch these movies all the time. Sometimes I get translations from my mother or a friend just to see how badly I have misinterpreted the story!

  5. नीरज दीवान Avatar
    नीरज दीवान

    पढ़कर आँखें नम हो आईं.. मुझे मेरे पिताजी की याद आ रही है.. इसी जनवरी में देहावसान हुआ है.

  6. जगदीश भाटिया Avatar
    जगदीश भाटिया

    You can read this blog in Raman here
    http://bhomiyo.com/en.xliterate/aaina2.wordpress.com

  7. Ravish Arya Avatar
    Ravish Arya

    good baata hua kal yad ya ha ma

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